
दिवाली जिसे दीपावली कहां जाता है आई हम आपको बताते हैं कि दीपावली 2025 मैं किस तारीख को मनाया जा रहा है।
तो दीपावली 20 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी उसे दिन हम पूरे देशवासी अपने घर में घी के दीए जलाकर पूरे घर को रोशनी से जगमगा देते हैं।
यह पर्व हमारी हिंदी धर्म के लिए बहुत खास मानी जाति है। 2025
दिवाली कब है 2025 – पूरी जानकारी और महत्त्व
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और लोकप्रिय त्यौहार है। यह त्यौहार न केवल रोशनी और खुशियों का प्रतीक है बल्कि अच्छाई की जीत, बुराई पर विजय और जीवन में समृद्धि लाने का पर्व भी माना जाता है। पूरे भारत में और विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय इसे बड़े हर्षोल्लास और उल्लास के साथ मनाते हैं। 2025
2025 में दिवाली 3 नवंबर को पड़ रही है। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि को आता है। अमावस्या की रात को दीपक जलाकर अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। दिवाली का मुख्य दिन लक्ष्मी पूजन के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को दीपकों और रंगोली से सजाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और लक्ष्मी माता की पूजा कर अपने घर में धन और खुशहाली लाने का प्रयास करते हैं। 2025
दिवाली के दिन और उनका महत्व 2025
दिवाली का पर्व पाँच दिनों तक मनाया जाता है। हर दिन का अपना विशेष महत्व है।
1. धनतेरस 2025
धनतेरस दिवाली का पहला दिन होता है। इसे धन और स्वास्थ्य का दिन माना जाता है। इस दिन लोग सोने, चाँदी और नए बर्तन खरीदते हैं। माना जाता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर में धन और समृद्धि लाती है। 2025
धनतेरस का दिन विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराने समय में व्यापारी इस दिन नई बुक्स, लेखापत्र और व्यापारिक रिकॉर्ड शुरू करते थे।
धनतेरस की पूजा विधि
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनना।
- तुलसी, गणेश और धन के प्रतीकों की स्थापना करना।
- सोने या चांदी के सिक्कों और बर्तनों को पूजा स्थल पर रखना।
- दीपक और अगरबत्ती जलाना।
- भोग अर्पित करना और परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा करना।
2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली
दिवाली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली कहलाता है। यह दिन भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक दानव का वध किया था। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
छोटी दिवाली पर खास बातें
- घर की सफाई करना और दीपक जलाना।
- अपने अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए विशेष पूजा करना।
- बच्चों को मिठाई और उपहार देना।
- रात में घर के सभी दीपक जलाना।
3. मुख्य दिवाली / लक्ष्मी पूजन
तीसरा दिन, जो 3 नवंबर 2025 को पड़ रहा है, दिवाली का मुख्य दिन है। इसे लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन की पूरी विधि
- घर की सफाई करके पूजा स्थल तैयार करना।
- लाल कपड़े, फूल और दीपक से पूजा स्थल सजाना।
- गणेश जी और लक्ष्मी माता की स्थापना करना।
- दीपक और अगरबत्ती जलाना।
- नए सिक्के, सोना या चांदी की वस्तुएँ रखकर पूजा करना।
- भोग अर्पित करना।
- पूजा के बाद परिवार और मित्रों में मिठाइयाँ बाँटना।
लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त
- सुबह 7:30 बजे से शाम 8:30 बजे तक
लक्ष्मी पूजन से घर में समृद्धि, सुख और खुशहाली आती है।
4. गोवर्धन पूजा / अन्नकूट 2025
दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट के रूप में मनाया जाता है। यह भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर ग्रामवासियों को वर्षा और बाढ़ से बचाया था।
अन्नकूट की पूजा
- घर में गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाना।
- अनाज, चावल, दाल और सब्जियों से पर्वत सजाना।
- पकवान तैयार कर उन्हें भोग के रूप में अर्पित करना।
- पूजा के बाद परिवार में भोजन बाँटना।
5. भाई दूज
दिवाली का अंतिम दिन भाई दूज होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूजा करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और अपनत्व का प्रतीक है।
दिवाली का इतिहास और पौराणिक महत्व
दिवाली का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। इसे विभिन्न पौराणिक कथाओं से जोड़ा गया है।
- रामायण से संबंध: भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर पूरे शहर को दीपकों से सजाया गया था।
- कृष्ण लीला: भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और लोगों को उसके अत्याचार से मुक्त किया। उस दिन की खुशी में दीप जलाए गए थे।
- धन की देवी लक्ष्मी: लक्ष्मी देवी को धन, सुख और समृद्धि की देवी माना जाता है। दिवाली के दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है।
दिवाली की तैयारियाँ
घर और सजावट
- घरों की सफाई और रंगाई करना।
- रंगोली, फूलों और दीपकों से घर सजाना।
- बाहर की लाइटिंग और LED दीपक से पूरे माहौल को रोशन करना।
मिठाइयाँ और पकवान
- लड्डू, करंजी, बर्फी, जलेबी, चॉकलेट और अन्य व्यंजन तैयार करना।
- घर और पड़ोसियों में मिठाइयाँ बाँटना।
- खास व्यंजन बनाना जो परिवार की परंपरा में शामिल हैं।
खरीदारी
- सोने-चाँदी और नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
- नए कपड़े, गहने और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ भी खरीदी जाती हैं।
दिवाली का आध्यात्मिक महत्व
दिवाली अंधकार पर प्रकाश, नकारात्मकता पर सकारात्मकता और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में अच्छाई बनाए रखने और अपने परिवार तथा समाज में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
दिवाली 2025 – शुभ मुहूर्त और पूजा समय
- धनतेरस: 31 अक्टूबर 2025, सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक
- नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली: 2 नवंबर 2025, सुबह 6:30 बजे से शाम 8 बजे तक
- मुख्य दिवाली / लक्ष्मी पूजन: 3 नवंबर 2025, सुबह 7:30 बजे से शाम 8:30 बजे तक
दिवाली के दौरान पर्यावरण-सुरक्षित विकल्पबाजारों में दीपक, रंगोली के रंग, मिठाइयों और गहनों की रौनक देखने को मिल रही है।
लोग अपने घरों को सफाई और सजावट के साथ तैयार कर रहे हैं ताकि लक्ष्मी माता का स्वागत बड़े धूमधाम से किया जा सके। इस बार की दिवाली में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए LED लाइट और इको-फ्रेंडली दीये का प्रचलन बढ़ा है, जिससे पटाखों के धुएँ और प्रदूषण को कम करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही, ऑनलाइन
और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से सोने, चांदी और गहनों की खरीदारी में भी तेजी देखी जा रही है, क्योंकि धनतेरस और दिवाली का समय व्यापार और निवेश के लिए शुभ माना जाता है। इस साल दिवाली पर लोगों की मुख्य प्राथमिकता सिर्फ भौतिक खरीदारी नहीं बल्कि घर में सुख-समृद्धि, रिश्तों में मिठास और आध्यात्मिक आनंद लाना है।
परिवार और मित्र मिलकर घर में दीपक जलाने, मिठाइयाँ बाँटने और लक्ष्मी पूजा करने की पूरी तैयारी में जुटे हैं। इसके अलावा, त्योहार के मौके पर कई शहरों में सामूहिक आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे सभी उम्र के लोग इस पर्व का आनंद बड़े हर्षोल्लास के साथ ले सकें।Hero splender bick 2025
आजकल लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर दिवाली मनाते हैं।
- इको-फ्रेंडली दीये और LED लाइट का उपयोग।
- कम धुआँ करने वाले पटाखों का चयन।
- प्लास्टिक के बजाय कागज और प्राकृतिक रंगों से रंगोली बनाना।
- मिठाइयों के पैकेजिंग में प्लास्टिक कम करना।
रोचक तथ्य और टिप्स
- दिवाली के दिन सोने और चाँदी की खरीदारी शुभ मानी जाती है।
- दीपक और मोमबत्ती से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- रंगोली और सजावट से घर का माहौल खुशनुमा बनता है।
- पुराने समय में पूरा गाँव सामूहिक रूप से दिवाली मनाता था।
- पटाखों का चलन धीरे-धीरे कम हो रहा है।
निष्कर्ष
दिवाली सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह जीवन में खुशियाँ, प्रेम, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक है। 2025 में 3 नवंबर को आने वाली दिवाली अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर मनाने का सबसे अच्छा समय है। यह दिन न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है, बल्कि जीवन में आनंद, प्रेम और सफलता भी लाता है।
दिवाली का पर्व केवल रोशनी और मिठाइयों तक सीमित नहीं है। इस दौरान लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताते हैं, पुराने मतभेद भूलकर रिश्तों में मिठास लाते हैं और मिलजुल कर लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। इस साल की दिवाली में भी धनतेरस से लेकर भाई दूज तक हर दिन की तैयारियाँ जोरों पर हैं। लोग सोने-चांदी और नए बर्तन खरीदकर घर में समृद्धि लाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि युवा वर्ग ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल भुगतान के माध्यम से खरीदारी में सक्रिय है।
त्योहार के दौरान घरों में दीपक और मोमबत्ती से सजावट करना और रंगोली बनाना अब भी एक प्रमुख परंपरा है। इसके साथ ही लोग पारिवारिक पकवान और मिठाइयाँ बनाकर अपने पड़ोसियों और मित्रों में बाँटते हैं। इस साल दिवाली में नए रेसिपी और हल्के व्यंजन भी लोगों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे त्योहार का स्वाद और
खास बन जाता है। इसके अलावा, सांस्कृतिक और सामूहिक कार्यक्रम भी शहरों में आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे सभी उम्र के लोग इस पर्व का आनंद ले सकें।
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