
धनतेरस पूजा 2025: शुभता और समृद्धि का प्रतीक त्योहार
भारत त्योहारों का देश है, और हर त्योहार अपने साथ एक विशेष संदेश और भावना लेकर आता है। धनतेरस, जिसे “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है, दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन केवल खरीददारी या सोने-चांदी लेने का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु की कामना का दिन है।
2025 में धनतेरस का पर्व 20 अक्टूबर (सोमवार) को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
धनतेरस का समय और मुहूर्त (Dhanteras 2025 Puja Muhurat)
- तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2025 रात 8:40 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025 रात 9:20 बजे
- शुभ पूजा मुहूर्त: शाम 6:50 से रात 8:20 तक (स्थानीय समय के अनुसार)
इस अवधि में दीपदान, लक्ष्मी-पूजन, और धन्वंतरि पूजा का अत्यधिक महत्व होता है।
धनतेरस का अर्थ और नाम की उत्पत्ति (Meaning of Dhanteras)
“धनतेरस” शब्द दो भागों से बना है —
- ‘धन’ का अर्थ है धन-संपत्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि।
- ‘तेरस’ का अर्थ है तेरहवीं तिथि।
इस प्रकार यह दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
यह माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से पूजा करता है, उसके घर में लक्ष्मी-कुबेर की कृपा बनी रहती है।
धनतेरस पूजा का धार्मिक महत्व (Religious Importance of Dhanteras)
धनतेरस का संबंध मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि से है, जिन्हें “आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता” कहा जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, तब वह दिन कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का था।
इसी कारण इस दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है और धन्वंतरि जयंती के रूप में भी इसका पूजन किया जाता है।
इसके अलावा इस दिन कुबेर देव की भी पूजा होती है, जो धन और समृद्धि के देवता हैं।
🌼 धनतेरस की कथा (The Legend of Dhanteras)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा हिम के पुत्र की शादी के चौथे दिन उसकी मृत्यु सर्पदंश से होने की भविष्यवाणी हुई थी।
उसकी पत्नी ने यह सुनकर एक उपाय किया —
उसने अपने पति को रातभर जागते रखा और चारों ओर सोने-चांदी के आभूषण और दीपक रख दिए।
जब यमराज सर्प के रूप में वहाँ आए, तो दीपकों की रोशनी और आभूषणों की चमक से उनकी आँखें चौंधिया गईं और वे बिना प्रवेश किए लौट गए।
तब से यह दिन यमदीपदान और धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा।
इस दिन दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi Step-by-Step)
धनतेरस पूजा का नियम बेहद सरल है, लेकिन इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए।
🪔 पूजा की तैयारी:
- घर की सफाई करें और प्रवेश द्वार पर आम के पत्तों और बंदनवार लगाएँ।
- मुख्य दरवाज़े पर स्वस्तिक और शुभ-लाभ का चिन्ह बनाएँ।
- पूजा स्थान पर लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करें।
पूजा सामग्री:
- दीपक (मिट्टी या चांदी के)
- गंगा जल
- चावल, रोली, कुमकुम
- चांदी/तांबे के सिक्के
- फूल और मिष्ठान्न
- धूप और कपूर
- पंचामृत और प्रसाद
🙏पूजा प्रक्रिया:
- शाम के शुभ मुहूर्त में भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी-कुबेर की मूर्ति को स्थापित करें।
- दीपक जलाकर “ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र का जाप करें।
- चांदी या तांबे के बर्तन में जल भरकर दक्षिण दिशा में दीपक रखें — इसे यमदीपदान कहते हैं।
- परिवार के सभी सदस्य मिलकर लक्ष्मी-कुबेर आरती करें।
- अंत में सभी को प्रसाद बाँटें और दीप जलाकर घर के हर कोने को प्रकाशित करें।
धनतेरस पर खरीददारी का महत्व (Shopping Significance on Dhanteras)
धनतेरस को “खरीदारी का शुभ दिन” कहा जाता है।
इस दिन की गई खरीद को लक्ष्मी आगमन का प्रतीक माना जाता है।
क्या खरीदें:
- सोना, चांदी या आभूषण
- बर्तन (विशेषकर स्टील, पीतल या चांदी के)
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ
- झाड़ू (शुभ मानी जाती है)
- नए कपड़े या घर की सजावट की चीज़ें
क्या न खरीदें:
- काले या नीले रंग की वस्तुएँ
- कैंची, चाकू, लोहे की वस्तु
- तेल या काँच के बर्तन
धनतेरस और स्वास्थ्य (Dhanteras and Health)
क्योंकि यह दिन भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, इसलिए इसे स्वास्थ्य और आयु से भी जोड़ा जाता है।
कई लोग इस दिन आयुर्वेदिक दवाएँ, तांबे या चांदी के बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं।
यह शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
घर सजाने के उपाय (Home Decoration on Dhanteras)
- घर के मुख्य द्वार पर तोरण और दीये लगाएँ।
- दरवाज़े के दोनों ओर कुबेर दीपक जलाएँ।
- घर के हर कोने को दीपों की रोशनी से चमकाएँ।
- माँ लक्ष्मी के स्वागत में “रंगोली” बनाएँ।
- रसोईघर में विशेष पकवान और मिठाई तैयार करें।
धनतेरस मंत्र (Mantras for Dhanteras Puja)
- धन्वंतरि मंत्र: ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरये।
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोग निवारणाय नमः॥ - लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥
- कुबेर मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः॥
धनतेरस और दीपावली का संबंध (Relation with Diwali Festival)
धनतेरस दीपावली की पहली कड़ी मानी जाती है।
इसके बाद नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, और भाई दूज मनाई जाती है।
धनतेरस की रोशनी आने वाले पाँचों दिनों में समृद्धि और शुभता का मार्ग प्रशस्त करती है।
यमदीपदान का महत्व (Importance of Yam Deep Daan)
धनतेरस की रात यमराज के नाम पर दीपक जलाया जाता है, जिसे यमदीपदान कहते हैं।
इससे व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है और परिवार में अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
दीपक दक्षिण दिशा में जलाकर यह प्रार्थना की जाती है —
“मृत्यु के देवता यमराज, कृपा करके हमें दीर्घायु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें।”
आधुनिक युग में धनतेरस (Dhanteras in Modern Times)
आज के दौर में धनतेरस केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहा।
अब यह धन प्रबंधन, निवेश और आर्थिक योजना का प्रतीक भी बन चुका है।
लोग इस दिन नए व्यवसाय शुरू करते हैं, प्रॉपर्टी या गाड़ियाँ खरीदते हैं, और सोने-चांदी में निवेश करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
धनतेरस का पर्व न केवल धन-संपत्ति का प्रतीक हैNew lunch bike 2025, बल्कि स्वास्थ्य, विश्वास और शुभता का प्रतीक भी है।
यह हमें सिखाता है कि सच्चा धन केवल सोना या चांदी नहीं, बल्कि सद्भावना, स्वास्थ्य और सकारात्मक सोच है।
2025 में जब आप दीपक जलाएँ, तो केवल घर नहीं, बल्कि अपने मन को भी प्रकाशित करें —
क्योंकि धनतेरस का सच्चा अर्थ है — प्रकाश, स्वास्थ्य और समृद्धि की ओर कदम बढ़ाना।
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