धनतेरस पूजा: इतिहास, महत्व, विधि एवं आधुनिक प्रासंगिकता 2025

Social media

20251012 161733

नीचे मैं एक विस्तृत और सम्पूर्ण धनतेरस (Dhanteras) पूजा पर लेख प्रस्तुत कर रहा हूँ — जिसमें इतिहास, कथा, महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, सावधानियाँ, व आधुनिक उपयोग आदि सभी पहलू शामिल हैं। आप इसे कहीं भी संशोधित कर सकते हैं या जिस शैली में चाहें उपयोग कर सकते हैं।



धनतेरस पूजा: इतिहास, महत्व, विधि एवं आधुनिक प्रासंगिकता 2025


इस विस्तृत लेख में हम जानेंगे कि धनतेरस (Dhanteras) क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की पौराणिक कथाएँ, इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व, पूजा-अर्चना की विधि, शुभ मुहूर्त, त्यौहार के दौरान किन वस्तुओं की खरीद शुभ मानी जाती है, और आज के समय में इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व। यह लेख आपको धनतेरस को गहराई से समझने का मार्गदर्शन देगा। 2025


धनतेरस, Dhanteras, धनतेरस पूजा विधि, Dhanteras significance, धनतेरस मुहूर्त, धनतेरस का इतिहास, धनतेरस कथा, लक्ष्मी पूजा, यम दीप, धनतेरस 2025, समृद्धि 2025


Table of Contents

लेख : धनतेरस पूजा — समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व

प्रस्तावना 2025

धनतेरस (जिसे Dhantrayodashi भी कहा जाता है) हिन्दू पंचांग में दीपावली की श्रृंखला में पहले दिन के रूप में मनाया जाता है। ‘धन’ का अर्थ है धन-सम्पत्ति और ‘तेरस’ तेरहवाँ दिन (त्रयोदशी) — अर्थात् कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि। इस दिन भगवान धन्वंतरी (आयुर्वेद के देवता), माँ लक्ष्मी (समृद्धि की देवी), तथा भगवान कुबेर (धन के अधिष्ठाता) की पूजा की जाती है। यह पर्व न केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य, सामंजस्य व आत्मिक शुद्धि का भी संदेश देता है। (taajaupdate) 2025

धनतेरस के इस स्वरूप में हमें यह याद दिलाया जाता है कि सिर्फ धन कमाना ही पर्याप्त नहीं — उसकी रक्षा, उसका सन्मार्ग उपयोग और स्वस्थ जीवन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। 2025

आइए, इस लेख में हम गहराई से जानेंगे — इसकी उत्पत्ति, कथाएँ, महत्व, पूजा विधि, उचित समय (मुहूर्त) और आज के समय में इसका महत्व। 2025


1. धनतेरस की उत्पत्ति एवं पौराणिक कथाएँ

धनतेरस की परंपरा के पीछे विविध पौराणिक कथाएँ व धार्मिक मान्यताएँ हैं। नीचे कुछ प्रमुख कथाएँ और व्याख्याएँ दी गई हैं: 2025

1.1 समुद्र मंथन एवं धन्वंतरी का आविर्भाव

हिंदू पुराणों के अनुसार, जब देवता और राक्षसों ने समुद्र मंथन (Samudra Manthan) किया, तब अमृत चित्र, रत्न और देवी-देवताओं के विविध आभूषण आदि निकले। उसी समय धन्वंतरी देवता अवतरित हुए, जिनके हाथ में अमृत कलश था। उन्हें स्वास्थ्य व आयु के देवता माना गया। इस घटना को धनतेरस दिवस पर स्मरण किया जाता है। 2025

इसलिए धनतेरस को National Ayurveda Day (राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस) के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि यह दिन आयुर्वेद की प्रतिष्ठा एवं चिकित्सा की शक्ति को भी दर्शाता है। 2025

1.2 राजा हिमा की कथा — यमद्विपदी (Yamadeep)

एक लोककथा के अनुसार, एक राजा था, जिसका नाम हिमा था। उसकी पुत्री से विवाह के कुछ ही दिनों बाद यह भविष्य बताया गया कि चार दिन बाद उस नवविवाहिता की मृति हो जाएगी। राजा और उसकी पत्नी दुःखी थे। पत्नी ने बुद्धिमानी से एक उपाय किया — उसने घर की सारी रोशनी (दीपक) जलाई, आभूषण, सोना, चांदी सबको कमरे के द्वार पर सजाया और रात भर पति को कहानियाँ सुनाती रहीं ताकि वह सो न पाए। 2025

रात्रि को यम (मृत्यु के देवता) साँप के रूप में आए, पर उस जगह के प्रकाश और आभूषणों से चकित होकर भूल गए कि अंदर आना है। वे सोने व चाँदी के ढेर पर चढ़ गए और उन्होंने सारी रात्रि वहीं बिताई और अंततः शांतिपूर्वक चले गए। इस घटना को याद करके लोग धनतेरस की रात यमद्विप (यम के लिए दीपक) जलाते हैं ताकि परिवार के सदस्यों पर अकस्मात मृत्यु का भय न हो। 2025

इस प्रकार यह पर्व यमद्विपदान के नाम से भी जाना जाता है — यम को दीपक अर्पित करना। 2025

1.3 देवी लक्ष्मी का आगमन

धनतेरस को यह भी माना जाता है कि इसी दिन देवी लक्ष्मी समूचे संसार में प्रवेश करती हैं, विशेष रूप से उन घरों में जहाँ पूजा, स्वच्छता और श्रद्धा हो। इस कारण लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, रंगोली बनाते हैं, दीपक जलाते हैं, ताकि धन, समृद्धि और खुशहाली देवी लक्ष्मी को आकर्षित कर सकें। 2025


2. धनतेरस का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

धनतेरस केवल एक धार्मिक दिन नहीं है, बल्कि यह अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मान्यताओं का संगम है। नीचे इसके महत्व को विस्तार से देखा गया है:

2.1 समृद्धि और धन की प्राप्ति 2025

इस दिन सोना, चाँदी, नए बर्तन, धातु की वस्तुएँ आदि खरीदना शुभ माना जाता है। इसके पीछे यह विश्वास है कि जिस घर में इस दिन नए ‘धन’ की प्रवेश होती है, वहाँ देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। 2025

धनतेरस में संपत्ति की बिक्री और खरीद विशेष महत्व लेती है, इसलिए व्यापारियों एवं व्यवसायियों में इस दिन को विशेष तवज्जो दी जाती है। 2025

2.2 स्वास्थ्य एवं जीवन की रक्षा 2025

धन्वंतरी देवता की स्तुति से यह पर्व स्वास्थ्य की ओर संकेत करता है। जीवन की रक्षा, रोगों से मुक्ति, आयु की वृद्धि — ये सब विषय इस दिन पूजा के माध्यम से अभिलाषित किए जाते हैं।

यम को दीपक अर्पित करना (यमद्विप) यह प्रतीक है कि मृत्युदेव को भी सम्मान देने से जीवन सुरक्षित bleibt। यह जीवन, मृत्यु, पालन और रक्षा की बात करता है।

2.3 शुद्धि, नव आरंभ और सकारात्मक ऊर्जा 2025

धनतेरस को एक नए आरंभ का दिन माना जाता है। इस दिन घर, व्यवसाय और मन को शुद्ध करना आवश्यक माना जाता है। इसलिए घरों की सफाई, रंगरोगन, दीवारें पुतवाना, झाड़ू लगाना, वायु-प्रदूषण मुक्त करना आदि क्रियाएँ की जाती हैं।

प्रकाश, दीपक और रंगोली जीवन में उजाला और सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक हैं। यह अंधकार से बाहर निकलने और नए सृजन की दिशा में आगे बढ़ने का प्रतीक है। 2025

2.4 सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण

धनतेरस पर खरीदारी का चलन बहुत बढ़ जाता है — सोना, चाँदी, धातु के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि। यह न सिर्फ व्यापारियों के लिए अच्छा दिन होता है, बल्कि आर्थिक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देता है।

त्यौहार के समय घर-परिवार एकत्र होते हैं, सामाजिक मेलजोल बढ़ता है, रिश्तों में मधुरता आती है। इसके अलावा यह त्योहार सांस्कृतिक और धर्मनिरपेक्ष संगोष्ठियों का भी अवसर बनता है। 2025


3. धनतेरस पूजा की तैDhanteras 2025यारी

पूजा विधि में सफलता पाने और प्राप्ति की संभावनाएँ बढ़ाने के लिए कुछ पूर्व तैयारी करना आवश्यक है। नीचे तैयारी हेतु सुझाव दिए गए हैं:

  1. सफाई व सजावट
    घर को अच्छी तरह से साफ करें — झाड़ू-मोप लगाएँ, दीवारों की धूल हटाएँ। दरवाजों व खिड़कियों पर रंगोली बनाएँ, फूलों व रंग-बिरंगी लाइटों से सजावट करें।
  2. पूजा स्थान चयन
    पूजा के लिए शांत, स्वच्छ तथा नियंत्रित स्थान चुनें। ideally घर का उत्तर-पूर्व (इशान) कोण अच्छा माना जाता है।
  3. पूजा सामग्री (सामग्री सूची)
    • मूर्ति / तस्वीर : देवी लक्ष्मी, धन्वंतरी, गणेश तथा कुबेर
    • कलश, पात्र, मिट्टी का दीपक
    • गाय का घी या तेल
    • हल्दी, अक्षत (चावल), रोली, केसर
    • फूल, पत्तियाँ (जैसे आम पत्ता), बेलपत्र
    • नैवेद्य (भोग): मिठाई, फल, सुपारी आदि
    • नैपकिन, स्वच्छ कपड़ा
    • दीपक, अगरबत्ती
    • गंगाजल या स्वच्छ जल
  4. पूजनियाँ (पूजा की सूची)
    • शुद्ध पानी से स्नान
    • हृदय व मन को शांत करना, ध्यान करना
    • मंत्र, स्तुति एवं प्रार्थना की तैयारी
  5. मंत्र पुस्तिका या धार्मिक ग्रंथ
    यदि संभव हो, तो आपके पास पूजन मन्त्र या स्तुति संग्रह हो, ताकि विधिपूर्वक मंत्र पाठ किया जा सके।

4. धनतेरस पूजा विधि — चरण दर चरण

नीचे एक सामान्य पूजा विधि दी जा रही है, जिसे आप अपने परंपरानुसार थोड़ा बहुत बदल सकते हैं:

  1. समय पर शुरुआत
    शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें (नीचे “समय और मुहूर्त” अनुभाग देखें)।
  2. स्वच्छ जल संकल्प
    एक पात्र में स्वच्छ जल लेकर, “ॐ सर्वदा स्वच्छता हेतु …” इत्यादि शब्दों से संकल्प लें।
  3. कलश स्थापना
    एक बड़ा कलश लें, उसमें जल भरें, ऊपर आम या पिंपळ पत्तियाँ रखें, नारियल रखें, पूजन ध्यानवृत्त रखें।
  4. मूर्ति/तस्वीर स्थापना
    लक्ष्मी जी, धन्वंतरी जी, गणेश जी व कुबेर जी की मूर्ति या तस्वीर को साफ कपड़े पर स्थापित करें।
  5. पूजा (अभिषेक-आदान) एवं अर्चना
    • जलाभिषेक: पहले मूर्ति पर जल छिड़काव करें
    • द्रव्यों द्वारा अर्पण: फूल, अक्षत, हल्दी-रोली, फल, मिठाई अर्पित करें
    • यदि संभव हो, गंगाजल चढ़ाएँ
    • दीपक व अगरबत्ती जलाएँ
    • मंत्रों का जप और स्तुति करें
  6. यमद्विप (यम दीप) का अनुष्ठान
    पूजा के बाद घर की दक्षिण दिशा की ओर (या घर के पीछे) एक दीपक (मिट्टी का दीपक या अन्य) जलाएँ — यमदेव को सम्मान देने हेतु।
  7. लक्ष्मी मंत्र एवं आरती
    “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः” इत्यादि मंत्रों का जाप करें, फिर आरती करें।
  8. प्रसाद वितरण
    द्वारा अर्पित मिठाई, फल आदि प्रसाद प्रकट करें और सभी में बांटें।
  9. धन प्रवेश करना
    पूजा के बाद यदि आप सोना, चाँदी या नए बर्तन खरीदते हैं, उन्हें पहले थोड़ा सा जल या चावल-पानी छिड़क कर रखें, फिर पूजा स्थान में प्रवेश कराएँ।
  10. ध्यान एवं शांति समय
    पूजा के बाद कुछ समय ध्यान करें या स्तुति-भजन सुनें, मन को शांत रखें।

नोट: यदि आपके परिवार या धर्म में विशेष रीति-रिवाज प्रचलित हों, तो उन्हें भी पूजा में सम्मिलित करें (जैसे भेंट, तिल, स्नेह आदि)।


5. शुभ समय एवं मुहूर्त (Timing & Muhurat)

धनतेरस पूजा को सही समय (मुहूर्त) में करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, ताकि पूजा-शक्ति अधिकतम हो। नीचे 2025 के कुछ समय हम उदाहरणस्वरूप दे रहे हैं:

  • प्रदोष काल: 6:55 बजे – 9:00 बजे
  • वृषभ काल (विशेष शुभ काल): 7:10 बजे – 8:50 बजे ()

ध्यान दें: ये समय एक उदाहरण है, जो सम्प्रति वर्ष, क्षेत्र व पञ्चांग के अनुसार बदल सकता है। इसलिए अपना स्थानीय पञ्चांग देख लें।

अन्य सामान्य नियम:

  • प्रातः सात बजे से पहले पूजा शुरू करना भी शुभ माना जाता है।
  • सांयकाल में प्रदोष कालवृषभ काल में पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • पूजा का समय समाप्ति तिथि से पहले होना चाहिए — अर्थात् तिथि समाप्ति से पहले सारे अनुष्ठान संपन्न कर लें।

6. कौन-कौन सी वस्तुएँ खरीदना शुभ माना जाता है?

धनतेरस पर कुछ विशेष वस्तुओं की खरीद शुभ मानी जाती है — नीचे सूची दी गई है:

  • नई घरेलू वस्तुएँ / उपकरण
    नए उपकरण, गृह उपयोगी सामान जैसे बर्तन, मशीनरी आदि खरीदने को शुभ माना जाता है।
  • गृह सजावटी वस्तुएँ
    दीपक, झूमर, रंग-बिरंगे लैंप, लाइटें, रैनबो (रंगोली सामग्री) आदि।
  • पूजा सामग्री
    नए दीपक, अगरबत्ती, फूल, कलश, पूजा कप, आदि।
  • स्वास्थ्य-संबंधित वस्तुएँ
    कुछ लोग इस दिन चिकित्सा सामग्री, आयुर्वेदिक दवाइयाँ, स्वास्थ्य उपकरण आदि भी खरीदते हैं, ताकि धन्वंतरी की कृपा बनी रहे।
  • गुंटियां / गोमती चक्र / रत्न आदि
    कुछ लोग अमulet (लकी चार्म) जैसे गोमती चक्र, रत्न आदि भी इस दिन खरीदते हैं।

सावधानी:

  • केवल जरूरत व बजट के अनुसार ही खरीदारी करें, अतिरंजना न हो।
  • विक्रेताओं और वस्तुओं की गुणवत्ता जांच लेना आवश्यक है।
  • पूजा सामग्री को पहले शुद्ध कर लें — हल्का चावल-पानी छिड़कना, स्वच्छ कपड़े से पोंछना आदि।

7. सावधानियाँ व उपयुक्त प्रथाएँ

पूजा में सफल होना और शुभ फल प्राप्त करना चाहता है तो निम्न सावधानियाँ ध्यान रखनी चाहिए:

  1. संकल्पपूर्वक पूजा
    पूजा करने से पहले दिल से संकल्प लें कि आज की पूजा श्रद्धा व भक्ति भाव से होगी।
  2. शुद्धता एवं पवित्रता
    पूजा स्थान एवं सामग्री पूरी तरह स्वच्छ होनी चाहिए। धूल, मैल न हो।
  3. समय का पालन
    निश्चित मुहूर्त का पालन करें तथा तिथि समाप्ति पूर्व पूजा समाप्त करें।
  4. मतुआनुचित व्यवहार न करें
    पूजा सामग्री (फूल, अक्षत, जल) को अपमान न करें, बिना श्रद्धा के न उपयोग करें।
  5. भोग (प्रसाद) वैध और शुद्ध हो
    जिस प्रसाद को देवी-देवता को अर्पित किया गया हो, वह शुद्ध हो — कोई अधूरापन, भूल न हो।
  6. धन प्रवेश सावधानी से
    यदि उस दिन धन (सोना, चाँदी आदि) लाई जा रही हो, पहले उसे थोड़ा जल या चावल-पानी छिड़क कर पूजा स्थान से घर में प्रवेश कराएँ।
  7. अन्य अनुष्ठान समय पर करें
    यमद्विप अनिश्चयपूर्वक जलाना, मंत्र का ध्यानपूर्वक पाठ करना आदि।
  8. आत्मिक श्रद्धा व भक्ति
    पूजा चेहरे का प्रदर्शन नहीं, बल्कि मन की शुद्ध श्रद्धा होनी चाहिए।

8. विविध प्रथाएँ और क्षेत्रीय भिन्नताएँ

धनतेरस को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग रूपों में मनाया जाता है। नीचे कुछ विशेष प्रथाएँ:

  • दक्षिण भारत (तमिलनाडु) में, ब्राह्मण परिवारों में मारुंडु नामक औषधि तैयार की जाती है और उसे अगले दिन (नरक चतुर्दशी) भोग के रूप में ग्रहण किया जाता है।
  • कुछ समुदायों में नए व्यापारियों को आज ही व्यापार की शुरुआत होती है।
  • कई परिवार घर की खिड़कियों पर लक्ष्मी पदचिन्ह (चावल या आटे से पैरों की छाप) बनाते हैं, ताकि देवी लक्ष्मी का प्रवेश हो सके।
  • कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन पशु पूजा का आयोजन भी होता है।
  • मंदिरों में विशेष आयोजन, हवन, भजन-संगीत आदि होते हैं।

9. आधुनिक युग में धनतेरस का महत्व

समय के साथ-साथ धनतेरस के रूप में कुछ नयी प्रासंगिकताएँ भी जुड़ी हैं:

  • वाणिज्य एवं अर्थव्यवस्था
    आजकल लोग इस दिन इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, उपकरणों, मोबाइल फोनों आदि की खरीद भी करते हैं। इस तरह त्योहार और बाजार दोनों को लाभ मिलता है।
  • स्वच्छता एवं स्वास्थ्य जागरूकता
    यह पर्व लोगों को घर-पर्यावरण की स्वच्छता के लिए प्रेरित करता है — जो वर्तमान में स्वच्छता, स्वास्थ्य व पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
  • डिजिटल पूजा व ऑनलाइन कारोबार
    आजकल कई लोग ऑनलाइन पूजा-सेवाएँ, ऑनलाइन खरीदारी आदि करते हैं। यह बदलते समय की आवश्यकता बनी है।
  • आध्यात्मिक पुनरावलोकन
    इस दिन कई लोग अपने जीवन, स्वास्थ्य, धन और संबंधों का पुनरावलोकन करते हैं। यह एक आत्मा-साक्षात्कार का अवसर बन जाता है।

10. समापन एवं उपसंहार

धनतेरस न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन के गहरे संदेशों को समेटे हुए है — संपत्ति की रक्षा, स्वास्थ्य की विचारशीलता, आस्था की अनुभूति, और जीवन में प्रकाश व सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत

जब आप इस दिन दीपक जलाते हैं, पूजा करते हैं, या नए बर्तन खरीदते हैं — तो प्रिय व्यक्ति या परिवार का उद्देश्य केवल भौतिक समृद्धि नहीं, बल्कि अपनी आंतरिक समृद्धि, स्वास्थ्य और सद्‌चिंतन को भी अग्रसर करना होना चाहिए।

आप इस लेख को अपनी ज़रूरत, भाषा या शैली के अनुसार संपादित कर सकते हैं। यदि चाहें, मैं इस लेख को आपके ब्लॉग, वेबसाइट या किसी अन्य स्वरूप में विशेष रूप से संपादित कर सकता हूँ — जैसे क़ार्ट, हेडिंग्स, उप-शीर्षक, चित्र-सहायता आदि। क्या मैं यह संस्करण आपके लिए तैयार कर दूँ?


Social media

Leave a Comment