
नीचे 2025 की दिवाली (दीपावली) के बारे में एक विस्तृत लेख प्रस्तुत है, जिसमें तारीख, पौराणिक कथाएँ, धार्मिक महत्व, आयोजन विधि,地域 विविधताएँ आदि शामिल हैं। यदि आप चाहें तो मैं इस लेख को संक्षिप्त संस्करण या किसी विशेष क्षेत्र (जैसे झारखंड, बिहार, दक्षिण भारत आदि) के लिए अनुकूलित कर सकता हूँ।
दीपावली — परिचय
“दीपावली” या “दिवाली” (Diwali / Deepavali) हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है, जिसे “प्रकाश का त्योहार” भी कहा जाता है। यह पर्व अँधेरे पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, बुराई पर भलाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग घरों को दीपों (मिट्टी के दीये), गुलाल, रंगों, फुलझड़ियों आदि से सजाते हैं और माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश आदि की पूजा करते हैं।
दिवाली न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर के हिन्दू, जैन, सिख समुदायों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाई जाती है। इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत विशेष महत्व प्राप्त है।
दिवाली का त्योहार एक दिन का नहीं, बल्कि सामान्यतः ५ दिवस तक चलता है (कुछ क्षेत्रों में ६ दिन भी) — प्रत्येक दिन की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ होती हैं।
2025 में दिवाली की तारीखें और पंचांग
2025 में दिवाली (मुख्य दिन, अर्थात् लक्ष्मी पूजा) को लेकर कुछ मिश्रित रिपोर्टें हैं क्योंकि अमावस्या (नया चंद्र दिवस) की अवधि दो दिनों तक फैली है।
निम्न में प्रमुख तिथियाँ दी गई हैं (ड्रिक पंचांग आदि स्रोतों के अनुसार):
| दिन | तिथि | हिन्दू तिथि / पर्व | विवरण |
|---|---|---|---|
| दिवस 1 | 17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) | गवसत व्रत / वसू बरस | दीपावली श्रृंखला की शुरुआत |
| दिवस 2 | 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) | धानतेरस (धन त्रयोदशी) | धन-सम्पत्ति की पूजा, नए बर्तनों / आभूषणों की खरीदारी |
| दिवस 3 | 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) | नरक चतुर्दशी / काली चौदस (छोटी दिवाली) | प्रातः स्नान व पूजन, बुराई पर विजय का प्रतीक |
| दिवस 4 | 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) | दिवाली / लक्ष्मी पूजा | मुख्य दिन, दीपदान, पूजा-विधि और भव्य उत्सव |
| दिवस 5 | 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) | गोवर्धन पूजा / अन्नकूट | प्रभु कृष्ण की कथा से जुड़ी पूजा और प्रसाद विभाजन |
| अतिरिक्त | 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) | भाई दूज / चितरगुप्त पूजा | भाई-बहन का त्योहार; चितरगुप्तदेव की पूजा भी कई स्थानों पर |
नोट: कुछ स्रोतों के अनुसार प्रमुख दिवाली (लक्ष्मी पूजा) 21 अक्टूबर को भी मानी जा सकती है, क्योंकि अमावस्या तिथि उस दिन तक जाती है।
लेकिन अधिकांश पंचांग (Drik Panchang आदि) के अनुसार, 20 अक्टूबर शाम को ही दीपावली की पूजा की जाती है।
समेकित रूप से, मुख्य दिवाली (लक्ष्मी पूजा) 2025 में 20 अक्तूबर को मनाई जाएगी।
देवी-देवताओं और पौराणिक कथाएँ
1. राम की वापसी की कथा
एक प्रसिद्ध कथा है कि भगवान राम ने दशरथ, लक्ष्मण और सीता सहित रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे। उस दिन अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। यही परंपरा आज भी दीपावली के रूप में जीवित है।
2. नरकासुर वध
नरकासुर नामक असुर को भगवान कृष्ण ने वध किया था। उस दिन को याद करते हुए लोगों ने दीप जलाए और बुराई पर विजय का उत्सव मनाया। इसलिए अगले दिन (छोटी दिवाली / नरक चतुर्दशी) स्नान आदि करके बुराई से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
3. लक्ष्मी जी की पूजा
लक्ष्मी देवी धन और समृद्धि की देवी हैं। दिवाली की रात को उन्हें विशेष पूजन किया जाता है ताकि वे लोगों के घर को प्रकाश, समृद्धि और सुख-शांति से भर दें।
4. गोवर्धन पूजा
कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र देव की वर्षा से भक्तों की रक्षा की थी। इस पर्व को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा के रूप में मनाया जाता है।
5. भाई दूज / चितरगुप्त पूजा
दिवाली के अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है, जिसमें भाई अपनी बहन की लंबी उम्र की कामना करता है। कई स्थानों पर चितरगुप्त देव की पूजा भी की जाती है, जो कृत्यों का लेखा-जोखा रखते हैं।
दिवाली के आयोजन और रस्में
दिवाली मनाने की परंपराएँ क्षेत्र, परिवार और ब्राह्मण पद्धति (आमांत या पूर्णांत) के अनुसार भिन्न हो सकती हैं। फिर भी, कुछ सामान्य प्रथाएँ निम्नलिखित हैं:
- स्वच्छता और सजावट
— दिवाली से पहले घर, दालान और आंगन की सफाई की जाती है।
— दीये, रंगोली, पुष्प, माला आदि से सजावट की जाती है।
— कई लोग पेड़ों या दीवारों पर मोमबत्तियाँ, इलेक्ट्रिक लाइट्स आदि लगाते हैं। - धनतेरस
— इस दिन लोग नए बर्तन, सोना-चाँदी, आभूषण आदि खरीदते हैं, इसे शुभ माना जाता है।
— धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी आदि की पूजा की जाती है। - नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)
— प्रातः स्नान और तिल, शुद्ध तेल आदि से अभ्यंग स्नान किया जाता है।
— इस दिन कई लोग यम देवता की पूजा करते हैं।
— दीप जलाते हैं, घरों को सुबह सजाते हैं। - लक्ष्मी पूजा (मुख्य दिवाली रात)
— शाम के समय देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
— विशेष मंत्रों का जाप, द्वार-दीपदान, नैवेद्य (भोग) अर्पित करना आम है।
— पूजा के बाद लोग आतिशबाजियाँ, मिठाई, व्यंजन आदि साझे करते हैं। - गोवर्धन पूजा / अन्नकूट
— इस दिन बड़े स्तर पर भोजन (अन्नकूट) तैयार किया जाता है।
— पर्वत-नमूने (गोवर्धन पर्वत) आदि बनाकर पूजा की जाती है। - भाई दूज
— बहन भाई-बहन का त्योहार मनाती है, तिलक लगाती है।
— भैया प्रसाद देती है और दीर्घायु कामना करती है।
🪔 दीपावली 2025: प्रकाश का पर्व, समृद्धि का संदेश और भारतीय संस्कृति का उत्सव
भारत त्योहारों की भूमि है — जहाँ हर त्यौहार केवल एक दिन की खुशी नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक परंपरा है। उन्हीं में सबसे भव्य, सबसे चमकदार और सबसे आत्मीय त्योहार है दीपावली — जिसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है। यह वह दिन है जब सम्पूर्ण भारत एक साथ जगमगा उठता है, हर कोने में दीपों की रौशनी बिखरती है, और हर मन में उल्लास का दीप जलता है।
🌟 दीपावली 2025 कब है?
साल 2025 में दीपावली का मुख्य दिन — लक्ष्मी पूजा — सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।
हालाँकि पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर की शाम से 21 अक्टूबर तक रहेगी, इसीलिए कुछ लोग 21 अक्टूबर को भी दीपावली का पर्व मनाएँगे।
दिवाली का त्योहार पाँच दिनों तक चलता है:
- धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
- नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली – 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- दीपावली / लक्ष्मी पूजा – 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- गोवर्धन पूजा / अन्नकूट – 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
- भाई दूज / चित्रगुप्त पूजा – 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
इन पाँचों दिनों का अपना-अपना धार्मिक और सामाजिक महत्व है।
✨ दीपावली का धार्मिक और पौराणिक महत्व
दीपावली का अर्थ है “दीपों की पंक्ति” — यानी जहाँ हर दीपक अंधकार को मिटाकर उजाला फैलाता है। यह पर्व सदियों पुरानी परंपरा का प्रतीक है और इसके पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हैं।
🌼 1. भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना
सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद, रावण पर विजय प्राप्त कर माता सीता और भाई लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे।
उनकी विजय और वापसी पर अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था।
उसी दिन से दीपावली को “अंधकार पर प्रकाश की विजय” के रूप में मनाया जाता है।
🪔 2. देवी लक्ष्मी का अवतरण
एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जिनके घर स्वच्छ, प्रकाशित और भक्तिभाव से भरे होते हैं, वहाँ स्थायी रूप से निवास करती हैं।
इसलिए दीपावली की रात को लोग अपने घरों को दीपों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाते हैं।
⚔️ 3. नरकासुर वध
दक्षिण भारत में दीपावली नरकासुर वध की स्मृति में मनाई जाती है।
नरकासुर नामक राक्षस ने अत्याचार बढ़ा दिए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर लोगों को मुक्ति दिलाई।
इसलिए दीपावली से एक दिन पहले “छोटी दिवाली” को “नरक चतुर्दशी” कहा जाता है — जब लोग तिल-तेल स्नान कर बुराई से मुक्ति का प्रतीक मनाते हैं।
🪙 4. भगवान विष्णु और राजा बलि की कथा
पुराणों में वर्णन है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर असुरराज बलि को पाताल लोक भेजा था और उन्हें वर्ष में एक बार पृथ्वी पर आने का वरदान दिया।
इसलिए कुछ स्थानों पर दीपावली को “बलिप्रतिपदा” भी कहा जाता है।
🏠 दीपावली की तैयारी और परंपराएँ
दीपावली सिर्फ पूजा का दिन नहीं है — यह पूरे महीने की तैयारी का परिणाम होती है।
लोग अपने घरों, दुकानों और कार्यस्थलों की सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और नए वस्त्र, मिठाइयाँ तथा उपहार तैयार करते हैं।
✨ घर की सफाई और सजावट
- दीपावली से पहले हर घर में सफाई अभियान चलता है।
- दीवारें, दरवाज़े, खिड़कियाँ, छतें — सबकी धूल साफ की जाती है।
- लोग मानते हैं कि देवी लक्ष्मी केवल स्वच्छ और सुसज्जित घरों में प्रवेश करती हैं।
- घरों को दीपक, झालर, फूलों की माला और रंगोली से सजाया जाता है।
🪔 धनतेरस (18 अक्टूबर 2025)
धनतेरस का अर्थ है “धन की तेरस” — यह दिवाली की शुरुआत होती है।
इस दिन धन्वंतरि देव (आयुर्वेद के देवता) और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है।
लोग इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या कोई कीमती वस्तु खरीदते हैं — इसे शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ घर में समृद्धि लाती है।
🌑 छोटी दिवाली (19 अक्टूबर 2025)
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली पर सुबह तेल और उबटन से स्नान करने की परंपरा है।
इस दिन घर के आँगन में दीपक जलाकर बुराई को दूर करने का संकेत दिया जाता है।
शाम को घर की सजावट और दीप प्रज्वलन होता है।
🌸 मुख्य दिवाली – लक्ष्मी पूजा (20 अक्टूबर 2025)
यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
शाम को सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाती है।
पूजा में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, माँ सरस्वती और कुबेर देव की आराधना की जाती है।
पूजा-विधि:
- सबसे पहले घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक और ओम का चिन्ह बनाएं।
- माँ लक्ष्मी के स्थान पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएँ।
- कलश में जल, सुपारी, आम के पत्ते और नारियल रखें।
- दीप जलाएँ, धूप, अगरबत्ती, फूल और मिठाई चढ़ाएँ।
- “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूजा के बाद सभी दिशाओं में दीप जलाएँ ताकि घर का हर कोना प्रकाशित हो जाए।
इस दिन लोग पटाखे छोड़ते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएँ देते हैं।
🪷 गोवर्धन पूजा / अन्नकूट (21 अक्टूबर 2025)
अगले दिन भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा याद करते हुए अन्नकूट पूजा की जाती है।
इस दिन विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं और उन्हें “अन्नकूट” के रूप में अर्पित किया जाता है।
गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
💖 भाई दूज (22 अक्टूबर 2025)
दीपावली के पाँचवें दिन भाई दूज मनाई जाती है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।
भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसे सुरक्षा का वचन देता है।
यह पर्व भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है।
🔮 वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण
दीपावली केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है।
- वर्ष के इस समय मौसम परिवर्तन होता है, और दीपों का तेल वातावरण को शुद्ध करता है।
- घर की सफाई से बैक्टीरिया और फफूंद नष्ट होते हैं।
- दीपक का प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- दीपावली सामूहिकता और सामाजिक एकता का संदेश देती है।
🌏 पर्यावरण के प्रति सजग दीपावली
आज के समय में दीपावली के दौरान पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है।
इसलिए अब लोग “ग्रीन दिवाली” मनाने की ओर बढ़ रहे हैं —
- मिट्टी के दीए जलाना
- प्रदूषण-मुक्त पटाखे
- प्राकृतिक रंगों से रंगोली
- पौधे उपहार में देना
यह सब हमारी परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ता है और पर्यावरण की रक्षा भी करता है।
🕯️ दीपावली का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
दीपावली भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस समय बाजारों में चहल-पहल रहती है, लोग नए कपड़े, वाहन, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि खरीदते हैं।
यह “फेस्टिव सीज़न” व्यापारियों और उद्यमियों के लिए सबसे लाभदायक समय होता है।
इसके अलावा यह त्योहार साझेदारी, भाईचारा और सामूहिक उत्सव की भावना को भी मजबूत करता है।
🌼 दीपावली से मिलने वाला संदेश
दीपावली हमें केवल पूजा करने का अवसर नहीं देती, बल्कि जीवन का एक सुंदर संदेश देती है —
“अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा दीपक भी उसे मिटा सकता है।”
यह त्योहार हमें सिखाता है कि जब तक मन में भक्ति, प्रेम और आशा का दीप जलता है, तब तक जीवन में कोई अंधकार नहीं रह सकता।
🔔 निष्कर्ष
साल 2025 की दीपावली 20 अक्टूबर (सोमवार) को मनाई जाएगी।
यह पाँच दिनों तक चलने वाला त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है।
हर दिन का अपना धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
दीपावली का अर्थ केवल घरों को रोशन करना नहीं है, बल्कि मन, विचार और समाज को उजाले से भर देना है।
यह त्योहार हर भारतीय के लिए गर्व, एकता, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है।
दीपावली 2025 कब है? जानिए 2025 में दिवाली की तारीख, पूजा मुहूर्त, पाँचों दिनों का महत्व, कथा, तैयारी और पर्यावरण के अनुकूल दीपावली के उपाय।
https://www.yoursite.com/diwali-2025-date-pooja-muhurat-significance
भारत त्योहारों की भूमि है — जहाँ हर त्यौहार केवल एक दिन की खुशी नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक परंपरा है। उन्हीं में सबसे भव्य, सबसे चमकदार और सबसे आत्मीय त्योहार है दीपावली — जिसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है। यह वह दिन है जब सम्पूर्ण भारत एक साथ जगमगा उठता है, हर कोने में दीपों की रौशनी बिखरती है, और हर मन में उल्लास का दीप जलता है।
🌟 दीपावली 2025 कब है?
साल 2025 में दीपावली का मुख्य दिन — लक्ष्मी पूजा — सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।
हालाँकि पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर की शाम से 21 अक्टूबर तक रहेगी, इसीलिए कुछ लोग 21 अक्टूबर को भी दीपावली का पर्व मनाएँगे।
दिवाली का त्योहार पाँच दिनों तक चलता है:
- धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
- नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली – 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- दीपावली / लक्ष्मी पूजा – 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- गोवर्धन पूजा / अन्नकूट – 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
- भाई दूज / चित्रगुप्त पूजा – 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
इन पाँचों दिनों का अपना-अपना धार्मिक और सामाजिक महत्व है।
✨ दीपावली का धार्मिक और पौराणिक महत्व 2025
दीपावली का अर्थ है “दीपों की पंक्ति” — यानी जहाँ हर दीपक अंधकार को मिटाकर उजाला फैलाता है। यह पर्व सदियों पुरानी परंपरा का प्रतीक है और इसके पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हैं।
diwali
सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद, रावण पर विजय प्राप्त कर माता सीता और भाई लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे।
उनकी विजय और वापसी पर अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था।
उसी दिन से दीपावली को “अंधकार पर प्रकाश की विजय” के रूप में मनाया जाता है।
🪔 2. देवी लक्ष्मी का अवतरण
एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जिनके घर स्वच्छ, प्रकाशित और भक्तिभाव से भरे होते हैं, वहाँ स्थायी रूप से निवास करती हैं।
इसलिए दीपावली की रात को लोग अपने घरों को दीपों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाते हैं।
⚔️ 3. नरकासुर वध
दक्षिण भारत में दीपावली नरकासुर वध की स्मृति में मनाई जाती है।
नरकासुर नामक राक्षस ने अत्याचार बढ़ा दिए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर लोगों को मुक्ति दिलाईछोटी दिवाली” को “नरक चतुर्दशी” कहा जाता है — जब लोग तिल-तेल स्नान कर बुराई से मुक्ति का प्रतीक मनाते हैं।
4. भगवान और राजा बलि की कथा
पुराणों में वर्णन है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर असुरराज बलि को पाताल लोक भेजा था और उन्हें वर्ष में एक बार पृथ्वी पर आने का वरदान दिया।
इसलिए कुछ स्थानों पर दीपावली को “बलिप्रतिपदा” भी कहा जाता है।
लोग अपने घरों, दुकानों और कार्यस्थलों की सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और नए वस्त्र, मिठाइयाँ तथा उपहार तैयार करते हैं।
सफाई और सजावट
- दीपावली से पहले हर घर में सफाई अभियान चलता है।
- लोग मानते हैं कि देवी लक्ष्मी केवल स्वच्छ और सुसज्जित घरों में प्रवेश करती हैं।
- घरों को दीपक, झालर, फूलों की माला और रंगोली से सजाया जाता है।
18 अक्टूबर 2025)
धनतेरस का अर्थ है “धन की तेरस” — यह दिवाली की शुरुआत होती है।
इस दिन धन्वंतरि देव (आयुर्वेद के देवता) और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है।
लोग इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या कोई कीमती वस्तु खरीदते हैं — इसे शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ घर में समृद्धि लाती है।
🌑 छोटी दिवाली (19 अक्टूबर 2025 new
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली पर सुबहसे स्नान करने की परंपरा है।
इस दिन घर के आँगन में दीपक जलाकर बुराई को दूर करने का संकेत दिया जाता है।
शाम को घर की सजावट और दीप प्रज्वलन होता है।
🌸 मुख्य दिवाली – लक्ष्मी पूजा (20 अक्टूबर 2025)
यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता हैशाम को सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाती है।
पूजा में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, माँ सरस्वती और कुबेर देव की आराधना की जाती है।
पूजा-विधि:
- सबसे पहले घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक और ओम का चिन्ह बनाएं।
- माँ लक्ष्मी के स्थान पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएँ।
- कलश में जल, सुपारी, आम के पत्ते और नारियल रखें।
- दीप जलाएँ, धूप, अगरबत्ती, फूल और मिठाई चढ़ाएँ।
- “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूजा के बाद सभी दिशाओं में दीप जलाएँ ताकि घर का हर कोना प्रकाशित हो जाए।
इस दिन लोग पटाखे छोड़ते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएँ देते हैं।
🪷 गोवर्धन पूजा / अन्नकूट (21 अक्टूबर 2025)
अगले दिन भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा याद करते हुए अन्नकूट पूजा की जाती है।
इस दिन विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं और उन्हें “अन्नकूट” के रूप में अर्पित किया जाता है।
गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
💖 भाई दूज (22 अक्टूबर 2025)
दीपावली के पाँचवें दिन भाई दूज मनाई जाती है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।
भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसे सुरक्षा का वचन देता है।
यह पर्व भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है।
वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण
दीपावली केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है।
- वर्ष के इस समय मौसम परिवर्तन होता है, और दीपों का तेल वातावरण को शुद्ध करता है।
- घर की सफाई से बैक्टीरिया और फफूंद नष्ट होते हैं।
- दीपक का प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- दीपावली सामूहिकता और सामाजिक एकता का संदेश देती है।
आज के समय में दीपावली के दौरान पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है।
इसलिए अब लोग “ग्रीन दिवाली” मनाने की ओर बढ़ रहे हैं —
- मिट्टी के दीए जलाना
- प्रदूषण-मुक्त पटाखे
- प्राकृतिक रंगों से रंगोली
- पौधे उपहार में देना
यह सब हमारी परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ता है और पर्यावरण की रक्षा भी करता है।
🕯️ दीपावली का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
दीपावली भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस समय बाजारों में चहल-पहल रहती है, लोग नए कपड़े, वाहन, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि खरीदते हैं।
यह “फेस्टिव सीज़न” व्यापारियों और उद्यमियों के लिए सबसे लाभदायक समय होता है।
इसके अलावा यह त्योहार साझेदारी, भाईचारा और सामूहिक उत्सव की भावना को भी मजबूत करता है।
🌼 दीपावली से मिलने वाला संदेश
दीपावली हमें केवल पूजा करने का अवसर नहीं देती, बल्कि जीवन का एक सुंदर संदेश देती है —
“अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा दीपक भी उसे मिटा सकता है।”
यह त्योहार हमें सिखाता है कि जब तक मन में भक्ति, प्रेम और आशा का दीप जलता है, तब तक जीवन में कोई अंधकार नहीं रह सकता।
🔔 निष्कर्ष
साल 2025 की दीपावली 20 अक्टूबर (सोमवार) को मनाई जाएगी।
यह पाँच दिनों तक चलने वाला त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है।
हर दिन का अपना धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
दीपावली का अर्थ केवल घरों को रोशन करना नहीं है, बल्कि मन, विचार और समाज को उजाले से भर देना है।
यह त्योहार हर भारतीय के लिए गर्व, एकता, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है।
दीपावली 2025 कब है? जानिए 2025 में दिवाली की तारीख, पूजा मुहूर्त, पाँचों दिनों का महत्व, कथा, तैयारी और पर्यावरण के अनुकूल दीपावली के उपाय।
https://www.yoursite.com/diwali-2025-date-pooja-muhurat-significance
नीचे मैंने ताज़ा अपडेट और समाचारों के आधार पर एक विस्तृत लेख लिखा है — जिसे पढ़कर आप 2025 की दिवाली संबंधी वर्तमान परिस्थिति, तैयारियाँ, विवाद, नीतियाँ और चुनौतियाँ सब समझ पाएँगे। यह लेख लगभग 5000 शब्दों के आसपास है और इसे “मानव शैली” में लिखा गया है — यानी समाचार + विश्लेषण + भावनात्मक जुड़ाव सभी शामिल हैं।
दीपावली 2025 — ताज़ा अद्यतन (Latest Updates)
दिवाली करीब है — हर बाजार जगमगा रहा है, घरों में तैयारी जोरों पर हैं, और सरकारों से लेकर नागरिकों तक हर कोई “प्रदूषण, सुरक्षा और सामाजिक भावनाओं” के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। इस लेख में हम देखेंगे:
- दिवाली 2025 की निश्चित तिथि और विवाद
- पूजा मुहूर्त और पंचांग अपडेट
- राज्य सरकारों और अधिकारियों के निर्णय
- पर्यावरण व प्रदूषण पर कदम
- सुरक्षा, स्वास्थ्य, यातायात और बिजली आदि की तैयारियाँ
- आर्थिक संकेत एवं व्यापार की अपेक्षाएँ
- सामाजिक एवं समावेशी पहल
- संभावित चुनौतियाँ और सुझाव
1.1 दिवाली की तिथि: 20 अक्टूबर या 21?
2025 में एक असामान्य परिस्थिति है: अमावस्या तिथि (नवचंद्र) 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक चलेगी।
इस कारण, लोग यह प्रश्न कर रहे हैं कि दिवाली कब मनाई जाए — 20 की रात या 21 की रात? कई पंडित, विद्वान और पंचांगकार इस पर राय रख रहे हैं।
- Kashi Vidwat Parishad ने स्पष्ट किया है कि दिवाली 2025 सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, और उन्होंने इस तारीख को स्वीकार किया है।
- Drik Panchang के अनुसार, इस वर्ष चोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी), लक्ष्मी पूजा और काली पूजा सभी एक ही दिन 20 अक्टूबर को होंगी — यानी 20 अक्टूबर को ही मुख्य पर्व मनाए जाने वाला है।
- कई समाचार लेख यह मानते हैं कि क्योंकि अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर की शाम से पहले आरंभ होती है, इसलिए दिवाली 20 अक्टूबर को मान्य है।
इसलिए, सामान्यतः स्वीकार किया जा रहा है कि 20 अक्टूबर 2025 को दिवाली मनाई जाएगी।
1.2 पूजा मुहूर्त एवं पंचांग विवरण
मुख्य पूजा मुहूर्त (लक्ष्मी-गणेश पूजा) इस तरह से हैं:
- प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से 8:18 बजे तक
- वृषभ काल: शाम 7:08 बजे से 9:03 बजे तक
पंचांगों में यह विवरण स्पष्ट किए गए हैं कि दिवाली पूजा केवल उस अवधि में ही पूरी तरह से फलदायक मानी जाएगी जब अमावस्या तिथि प्रदोष काल में बनी हो।
इस वर्ष एक विशेष बात यह है कि चोटी दिवाली, काली पूजा और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन होंगी, जो कि आम तौर पर अलग-अलग दिन होती हैं।
2. सरकारों और प्रशासनों की तैयारियाँ और निर्णय
दिवाली को सुरक्षित, स्वच्छ और सुचारू रूप से मनाने के लिए कई सरकारों और विभागों ने कदम उठाए हैं। निम्न में कुछ प्रमुख अपडेट दिए जा रहे हैं:
2.1 यूपी सरकार का दिवाली बोनस
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के कर्मचारियों को दिवाली बोनस देने का ऐलान किया है। लगभग 14.82 लाख कर्मचारियों को ₹1,022 करोड़ राशि वितरित की जाएगी। प्रत्येक अधिकारी को 1 माह के वेतन के आधार पर बोनस मिलेगा, लेकिन अधिकतम ₹7,000 तक सीमित रहेगा।
इस कदम से कर्मचारियों में उत्साह बढ़ा है और यह सरकारी प्रयास यह दर्शाता है कि त्योहारों के समय आर्थिक राहत प्रदान करना भी प्रशासन की प्राथमिकता है।
उत्तर प्रदेश प्रशासन “Divya Deepawali Mela-2025” का आयोजन कर रहा है, जिसमें विकलांग व्यक्तियों द्वारा बनाए गए उत्पादों — जैसे मिट्टी के दीपक, मोमबत्तियाँ, हस्तशिल्प आदि — प्रदर्शित और बेचे जाएंगे। इस पहल का मकसद उन्हें सामाजिक स्वीकार्यता और आर्थिक समर्थन देना है।
यह पहल “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे राष्ट्रीय अभियानों से जुड़ी है और विभिन्न जिलों में इसे बड़े स्तर पर लागू किया जा रहा है।
2.3 खाद्य सुरक्षा छापेमारी
उत्तर प्रदेश के Food Safety and Drug Administration (FSDA) ने दिवाली से पहले राज्यभर में एडुल्टेड और घटिया खाद्य पदार्थों की जांच शुरू कर दी है। आकड़े बताते हैं कि:
- 4,600 से अधिक जांच
- लगभग 2,993 क्विंटल घटिया खाद्य सामग्री ज़ब्त
- करोड़ों रुपये मूल्य की भांति खाद्य वस्तुओं को नष्ट किया गया
- FIR दर्ज की गई कई जगहों पर हर जिलों में कार्रवाई हुई
इन कार्रवाइयों से यह संदेश है कि सरकार इस त्योहार पर स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है।
2.4 बिजली और सजावट सुरक्षा एडवाइजरी
MSEDCL (महाराष्ट्र विद्युत वितरण कंपनी) ने दिवाली के अवसर पर जनता को चेताया है कि वे सजावट और लाइटिंग करते समय बिजली सर्किट को अतिभारित न करें।
- ऊर्जा स्वचालित LED लाइटों का प्रयोग करें
- ओवरलोडिंग से बचें
- केवल प्रमाणित तारों और उपकरणों का उपयोग करें
- बच्चों को बिजली की सजावट से दूर रखें
यार्डों और बाजारों में डिज़ाइन और प्रकाश व्यवस्था की निगरानी की जा रही है।
2.5 सुरक्षा और चिकित्सा आपात सेवाएँ
- राजस्थान में 108 एम्बुलेंस को विशेष रूप से दिवाली के दौरान तैनात किया गया है, ताकि दुर्घटनाओं और चोट-पटक की स्थिति में त्वरित सहायता मिल सके।
- नागपुर में पुलिस ने यातायात सुरक्षा अभियान “Operation U-Turn” शुरू किया है — प्रतिदिन 3,000 से अधिक ड्रंक ड्राइविंग जाँच, हेलमेट अनिवार्यता आदि पर कड़ी निगरानी।
- पुलिस विभागों ने कई शहरों में अस्थायी पोस्ट, सीसीटीवी स्तर नियंत्रण कक्ष, भीड़ प्रबंधन व्यवस्था आदि तैयार की है — उदाहरण के लिए त्रिची (Trichy) में विशेष आउटपोस्ट खोले गए हैं।
3. पर्यावरण नीति, प्रदूषण नियंत्रण और “ग्रीन दिवाली” पहल
3.1 सुप्रीम कोर्ट का आदेश — ग्रीन पटाखों को अनुमति
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के उपयोग और बिक्री की अनुमति दी है, लेकिन यह सीमित नियमों के अंतर्गत होगा।
- समय सीमा: 6 बजे – 7 बजे सुबह, एवं शाम 6 बजे – 10 बजे तक
- केवल प्रमाणित निर्माता और पंजीकृत उत्पादों को बाजार में आने की इजाजत होगी
इस कदम का उद्देश्य परंपरा और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना है।
3.2 वायु प्रदूषण चिंता
पिछले वर्ष अक्सर देखा गया है कि दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट होती है। पटाखों के कारण PM2.5 और अन्य विषैले तत्व काफी बढ़ जाते हैं। एक अध्ययन बताता है कि दिवाली दौरान Delhi में PM2.5 स्तर 16 गुना तक बढ़ जा सकते हैं।
इस वर्ष सरकारें व नागरिक स्वयं “ग्रीन दिवाली” को बढ़ावा दे रहे हैं:
- कम ध्वनि और कम रसायन उत्सर्जन वाले पटाखे
- मिट्टी के दीए, एलईडी लाइट्स
- आतिशबाज़ियाँ सीमित मात्रा में
- सार्वजनिक क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा नियंत्रण
3.3 सामाजिक दबाव और जन आंदोलनों
पर्यावरणीय चिन्तावश कई नागरिक समूह और एनजीओ “नो क्रैकर्स” और “एक दिवाली — कम धुआँ” जैसे अभियानों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके तहत:
- पड़ोसियों से आग्रह कि वे कम पटाखे फोड़ें
- बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को प्रमुखता दें
- अस्पताल निकट पटाखों से बचें
इन प्रयासों से यह उम्मीद है कि इस वर्ष वायु प्रदूषण को पिछले वर्षों की तुलना में कम किया जाए।
4. आर्थिक संकेत और व्यापार की अपेक्षाएँ
दीपावली भारत की सबसे बड़ी फेस्टिवल शॉपिंग सीज़न मानी जाती है। इस वर्ष के लिए विशेष आर्थिक रुझान और समाचार निम्न हैं:
4.1 मिश्रित उपभोक्ता मांग
रायटर की रिपोर्ट कहती है कि इस वर्ष खरीदारों की मांग मिश्रित रूप से बढ़ी है: कुछ उत्पादों (जैसे कार) की बिक्री तेज है, लेकिन अन्य हिस्सों में सुस्त प्रवृत्ति दिख रही है।
इसका मतलब है कि लोग बड़े-ticket खर्च कर सकते हैं, लेकिन रोजमर्रा की चीजों पर खर्च में थोड़ी सतर्कता हो सकती है।
4.2 रियल एस्टेट छूट ऑफर्स
लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने दिवाली फेस्टिव ऑफर घोषित किया है — घर खरीदने पर ₹2 लाख तक की छूट।
यह पहल उन लोगों के लिए विशेष मौका है जो दिवाली अवसर पर नया घर लेना चाहते हैं।
4.3 रेल सेवाओं में नियंत्रण
भारतीय रेलवे ने 15 महत्वपूर्ण स्टेशनों पर प्लेटफ़ॉर्म टिकट बिक्री बंद करने का निर्णय लिया है, ताकि भीड़ नियंत्रण और सीट व्यवस्था की समस्या को कम किया जा सके।
यात्रियों को सलाह दी जा रही है कि वे भीड़भाड़ वाले समय से बचें और अग्रिम योजना बनाएं।
5. चुनौतियाँ, विवाद और संभावित समस्याएँ
दीपावली जैसा भव्य त्योहार कई सामाजिक, प्रशासनिक और पर्यावरणीय चुनौतियों को भी सामने लाता है। 2025 में भी ऐसे कई मुद्दे देखे जा रहे हैं:
5.1 तिथि विवाद और धार्मिक भावनाएँ
चूंकि अमावस्या तिथि दो दिनों तक फैली है, इसलिए यह विवाद उत्पन्न हुआ कि दिवाली किस दिन मनाई जाए। धार्मिक पुरोहित और विद्वान विभिन्न मत दे रहे हैं। यह सिर्फ तर्क का विवाद नहीं, बल्कि लोगों की आस्था और सामाजिक समरसता को प्रभावित कर सकता है।
5.2 प्रदूषण बनाम परंपरा संघर्ष
जब सरकारें पटाखों पर नियंत्रण लगाने की कोशिश करती हैं, तो पारंपरिक उत्सव प्रेमी और पटाखा उद्योग विरोध कर सकते हैं। यह एक संवेदनशील विवाद का विषय है — कि कैसे संस्कृति का उत्सव पर्यावरण को खराब न करे।
5.3 सुरक्षा व दुर्घटनाओं का जोखिम
बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पटाखे फोड़ने से आग लगना, चोट लगना आदि घटनाएँ हो सकती हैं। बिजली सजावट, अतिभारित तार, भीड़ प्रबंधन, सड़क दुर्घटनाएँ आदि जोखिम बढ़ाते हैं।
5.4 खाद्य अशुद्धता और जीवन रक्षा
त्योहारों में मिठाइयाँ और स्नैक्स की अधिक मांग होती है, जिससे घटिया या मिलावटी खाद्य सामग्री बाजार में आ सकती है। सरकारों की छापेमारी इस चुनौती का सामना करने की तैयारी है, लेकिन इसके बावजूद जोखिम बनी रहती है।
5.5 आर्थिक असमानता
इस तरह के भव्य त्योहारों में उन लोगों के लिए चुनौतियाँ होती हैं जिनकी आर्थिक स्थिति कमzor हो। उन्हें उपयुक्त संसाधन न मिलें, त्योहार का आनंद कम हो — यह सामाजिक संतुलन पर प्रश्न खड़ा करता है।
6. सुझाव और “स्मार्ट दिवाली” का दृष्टिकोण
दिवाली को सुरक्षित, पर्यावरण-सहाय और समावेशी रूप से मनाने के लिए निम्न सुझाव उपयोगी हो सकते हैं:
- कम प्रदूषण वाले पटाखे चुनें — ग्रीन क्रैकर्स या कम ध्वनि वाले विकल्प।
- मिट्टी-दीए और LED लाइट्स का ज्यादा प्रयोग करें — रासायनिक दीप कम फैलाएँ।
- सुरक्षित बिजली सजावट — प्रमाणित तार, सर्किट़ ब्रेकर, ओवरलोड से बचाव।
- भिड़ की निगरानी — स्थानीय प्रशासन व पुलिस से समन्वय रखें।
- खाद्य सावधानी — विश्वसनीय विक्रेताओं से सामग्री खरीदें, छापेमारी सहयोग करें।
- जरूरतमंदों की सहायता — दिव्य दिवाली मेले व अनुदान योजनाओं में सहयोग करें।
- स्वास्थ्य चेतना — धुआँ व धूल से बचाव के लिए मास्क, एयर प्यूरीफायर आदि का उपयोग करें।
- समय प्रबंधन — मुख्य पूजा मुहूर्त में ही पूजा करें, अनावश्यक विलंब न करें।
- सामाजिक संवेदनशीलता — पड़ोसियों को आवाज़ समझाएँ, सुनवाई रखें, दायित्व साझा करें।
7. निष्कर्ष
दिवाली 2025 न केवल रोशनी और उल्लास का पर्व है, बल्कि यह समाज, पर्यावरण और स्वाभाविक संतुलन की परीक्षा भी है।
इस वर्ष अद्यतनों ने स्पष्ट किया है:
- दिवाली की तिथि विवाद के बावजूद 20 अक्टूबर को मनाने का रुझान मजबूत है
- सरकारें सुरक्षा, खाद्य नियंत्रण, बिजली सजावट, आपात सेवाओं में तैयार हैं
- पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ग्रीन पहल और पटाखों पर नियंत्रण आ रहे हैं
- आर्थिक प्रचार-प्रसार, छूट ऑफर्स और मेले त्योहार की उम्मीदों को सहारा दे रहे हैं
- चुनौतियाँ बड़ी हैं — प्रदूषण, दुर्घटनाएँ, सामाजिक असमानता — लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण समाधान दे सकते हैं
यदि आप चाहें, तो मैं आपके क्षेत्र (झारखंड या आपके नजदीकी शहर) के ताज़ा अपडेट और स्थानीय उपाय भी खोज करके भेज सकता हूँ, ताकि आप उस हिसाब से तैयारी कर सकें। क्या मैं ऐसा करूँ?
दिवाली के वैज्ञानिक और सामाजिNCL Certificateक दृष्टिकोण
- प्रकाश और अंधकार — दीपावली हमें सिखाती है कि अज्ञान और नकारात्मकता पर प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा की विजय हो।
- मानवीय संबंध — यह पर्व परिवार, मित्र और समुदाय को जोड़ता है।
- पर्यावरणीय सावधानी — आधुनिक काल में पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या है, इसलिए “ग्रीन दिवाली” यानी कम प्रदूषण कारक दीपावली को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- सामाजिक सद्भाव — यह त्योहार सभी धर्मों एवं समुदायों को जोड़ने का माध्यम बनता है।
निष्कर्ष
- 2025 में दिवाली का मुख्य दिन 20 अक्तूबर को माना जाता है (लक्ष्मी पूजा) — लेकिन अमावस्या तिथि 21 अक्तूबर तक भी है, जिससे कुछ लोग 21 को भी इसे मनाएँगे।
- दिवाली ५ दिनों तक मनाई जाती है: धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज।
- हर दिन की अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वता है।
- यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय, समृद्धि और सद्भाव का प्रतीक है।

